Total Pageviews

Sunday, April 11, 2010

मिले सुर मेरा तुम्हारा......!

21 मार्च 2010 का दिन सिंह- सदन के लिए इसलिए महत्त्वपूर्ण रहा कि इस दिन पहली बार जोनी यानि अपने हृदेश के संयोजकत्व में मैनपुरी मेला मंच पर "युवा महोत्सव" आयोजित किया गया. परंपरागत प्रदर्शनी से जोनी का जुड़ना एक उपलब्धि की बात है.......अब तो खैर मेले-ठेले उतने आकर्षण के बिंदु नहीं रहे जितने एक-दो दशक पहले हुआ करते थे.........जब लोग साल साल भर नुमाईश लगने का इन्तिज़ार करते थे, और एक एक सप्ताह के लिए अपने अपने गावों से आकर इस आयोजन का मज़ा लेते थे........मनोरंजन-संचार के साधन कम होने की वजह से नुमाइश का आकर्षण सहज और स्वाभाविक था.....!


वापस लौटते हैं इस बार की '' नुमाइश '' पर .....मेरा और पंकज दोनों का यह मानना था कि जोनी को प्रदर्शनी की सदस्यता लेकर कुछ नया ताज़ा सा कार्यक्रम करना चाहिए.......बहरहाल जोनी ने ऐसा किया भी. जोनी ने प्रदर्शनी की सदस्यता ग्रहण कर "युवा महोत्सव" का संयोजक बनने का अवसर प्राप्त किया. हम सब ने यह निर्णय लिया कि इस कार्यक्रम को पूरी ऊँचाई तक ले जाना है...... ईश्वर की कृपा से हम कामयाब भी हुए.
हमने दिन में कार्यक्रम के अंतर्गत कादंबरी मंच पर युवाओं को मोटिवेट करने विषयक एक सेमिनार " मैनपुरी में शिक्षित युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर" आयोजित किया. इस सेमिनार में विभिन्न क्षेत्रों के नामचीन प्रतिनिधियों को बुलाकर ओपन सेसन कराया.....रात में इसी मंच पर एक रंगारंग संगीत कार्यक्रम भी कराया. इस रंगारंग संगीत कार्यक्रम में स्थानीय बालक-बालिकाओं ने गायन और नृत्य का तो प्रदर्शन किया ही......दिल्ली और मुंबई से आमंत्रित कलाकारों तो अपने हुनर का प्रदर्शन कर महफ़िल लूट ली. गौरव बांगिया जो इन्डियन आइडल के प्रतिभागी थे उन्होंने क़र्ज़ फिल्म के गाने गाकर श्रोताओं को जूमने पर मजबूर कर दिया. सारेगामा वाले रेहान खान ने भी "दर्दे दिल दर्दे जिगर गाकर" अपनी क़ाबलियत का एहसास करा गए. बरेली से आये ग़ज़ल गायक बन्धु मुजाहिद- मुशाहिद ने गुलाम अली की "याद याद याद बस याद रह जाती है" गाकर मंच को तालियाँ बजाने पर मजबूर कर दिया. दिल्ली के फ्यूजन ग्रुप ने सितार वादन प्रस्तुत कर और चन्दन दास की गायी ग़ज़ल गाकर शमाँ बांध दिया. प्रोग्राम में सोनी टीवी वाली सोनम अस्थाना ने "कजरारे" पर जो नृत्य किया तो लगा ही नहीं की रात के दो बज चुके हैं.......दर्शक-श्रोता उतनी ही मजबूती से प्रांगन में जमे हुए थे.


यह प्रोग्राम जोनी ने जिस खूबसूरती से सजाया था...........मैं समझता हूँ कि उतनी ही जिम्मेदारी घर के अन्य सदस्यों पंकज, पुष्पेन्द्र, प्रमोद रत्न, संदीप, दिलीप, टिंकू, दिलीप ने भी निभायी थी. रात के आखिरी पहर हम सबने जब कार्यक्रम संचालक चेतन की मांग पर " मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा....." गाया तो लगा कि इस गीत के सही मायने क्या हैं..........!
(इस विषय पर और अधिक जानने के लिए सत्यम न्यूज पर पढ़िए आलेख-http://satyammpi.blogspot.com/2010/04/blog-post.html)
*****प्रस्तुति- पकु2

1 comment:

pankaj said...

''yuva mahotsava - 2010 ''created a history .almost after a decade we gatthered on 'kadambari manch 'and what a great presentation.... SINGH SADAN ROCKS.....