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Sunday, May 2, 2010

राही.. तू मत रुक जाना ...

........ उनकी आखों में ... '' बुनियादी ख्वाब '' ...... चाल में '' उर्जा '' और '' आत्मविश्वास '' ......... तथा मिजाज़ में एक खास किस्म का '' अल्हड़पन '' और '' मस्ती '' है .... वे गंभीर बातें सोचते हैं ...... पर अंदाज बेहद सामान्य और विनोदी रहता है ..... !

........ '' लौकिक '' व्यव्हार और मनोवैज्ञानिक चिंतन की ऐसी दिलचस्प .... और प्राय दुर्लभ '' जुगलबंदी '' पेश करती एक अज़ीम शख्सियत हैं ....... हमारे प्रिय अनुज ....... ह्रदेश कुमार सिंह ... उर्फ़ '' जोनी '' !

जोनी '' मैनपुरी '' जनपद ....... और आस - पास के कई जनपदों में एक बेहद लोकप्रिय नाम है ! '' सिंह सदन '' परिवार की सबसे '' नामचीन '' हस्तियों में ये शुमार हैं ....... जोनी '' सिंह सदन '' और इसके सभी विस्तार पटलों में बच्चों से लेकर बड़ों तक हरदिल अज़ीज़ हैं ...... इनसे ही '' सिंह सदन '' की महफ़िलें रोशन और मस्त होती हैं ..... जोनी '' सिंह सदन '' की अमूल्य निधि सिद्ध हुए हैं ...... वे वास्तव में '' सिंह सदन '' की रौनक हैं ...!

१९८४ में ...... '' सिंह सदन '' में जन्मे जोनी की किताबी तालीम में बचपन में कोई रूचि नहीं थी ..... किताबें - विद्यालय - अध्यापक ...... ये सब इनकी रूचि के '' बाहर '' के विषय थे ....... पर बचपन से ही ..... जोनी एक खुद्दार तबियत के इंसान थे ...... इन्होने कभी किसी का सहारा लेना मुनासिब न समझा ........ अपने लिए खुद ही मंजिले बनाई और उन्हें पाया भी .......

......... हालात से कभी न घबराने ....... और मुश्किल परिस्तिथियों से जूझने के '' जीवट हौसले '' का नाम जोनी है .... स्कूल में आने पर ये '' एन . सी . सी . '' में दाखिल हुए ...... और '' गड्तंत्र दिवस परेड '' में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया ...... भाईओं से प्रेरित होकर ....... मीडिया और पत्रकारिता के क्षेत्र में दिलचस्पी जगी ...... और कालांतर में एक '' काबिल लेखक '' के रूप में व्यापक प्रसिद्धि पाई ..!

कठिन परीक्षा पास कर मीडिया के देश के सर्वोच्च संस्थान '' आई . आई . एम . सी . '' दिल्ली से पत्रकारिता की डिग्री ली ....... '' अमर उजाला '' , '' दैनिक जागरण '' , '' हिंदुस्तान '' में तीन से चार वर्ष काम किया ....... पर नौकरी से इन्हें '' आत्मिक संतुष्टि '' प्राप्त न हो सकी ....... वे कुछ अलग ... कुछ मानवीय ..... कुछ कल्याणकारी ..... कुछ वास्तविक ... करना चाहते थे सो उन्होंने एक '' बड़ा '' निर्णय लिया ..... आज की उस नई पीढ़ी से नितांत अलग ...... जो पैसे ... सुविधा .... और महानगरों को ही कामयाबी का पैमाना मानती है ..... उन्होंने दिल्ली , मुंबई , देहरादून और लखनऊ को छोड़कर '' अपने क्षेत्र '' और '' अपने लोगों '' के बीच उनके विकास के लिए काम करने का निर्णय लिया .... अपना न्यूज़ चैनल ...... '' सत्यम '' शुरू किया ...... जिसने विगत तीन वर्षों में ... '' विकास पत्रकारिता '' और '' वेलफेयर जर्नलिज्म '' ...... को नए आयाम देते हुए जबरदस्त '' टी आर पी '' अर्जित की है ...!

" सत्यम " ने केवल ख़बरों तक ही खुद को सीमित नहीं रखा है ........ वरन लोगों की '' समस्याओं '' से खुद को जोड़ा है और इनसे आवाम को निजात दिलाई है ...... !

" सत्यम " और जोनी ...... आज लाखों असहाय .... ग्रामीण ....... गरीब ......... दलित जनता के लिए आशा और विश्वास के प्रतीक बने हुए हैं .......! जोनी की वजह से हम दोनों भाइयों को क्षेत्र के विकास के लिए नई परियोजनाएं सोचने और क्रियान्वित करने में बड़ी सुविधा हुयी है !

जोनी को उनके " सराहनीय कार्यों " के लिए २००९ में '' राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार '' तथा '' ज्योतिबा राव फुले नेशनल स्कोलर शिप '' से सम्मानित किया गया ..... जोनी पर '' सिंह सदन '' परिवार को गर्व है ..... तथा हमारी शुभ कामनाएं हैं कि वे जीवन पथ पर सफलता पूर्वक द्रण क़दमों से आगे बढें ........ और '' अध्यात्मिक स्तर '' पर खुद को उन्नत करते हुए अपने जीवन को लोकोपयोगी बनाये ....... और '' निष्काम कर्मयोगी '' के रूप में सर्वोच्च प्रतिष्ठा प्राप्त करे ...!

...... सदैव स्मरण रहे ...... कि इतिहास '' केवल '' उनका है ... जिन्होंने दूसरों के लिए '' त्याग '' और '' बलिदान '' किये हैं तुमने भी ऐसी ही राह चुनी है ....... ये कठिन है ....... इसमें कांटे हैं ....... पर तुम्हारी मंजिल यही है ... आगे बढ़ो .......... हम सब तुम्हारे साथ हैं ! !

* * * * * PANKAJ K. SINGH

1 comment:

VOICE OF MAINPURI said...

शुक्रिया भैया...आप सब लोगों की शख्सियतें देखता हूँ तो मेरी जिम्मेदारियां और भी बड जाती है.मेरी हमेसा से कोसिस रही है कि सिंह सदन और इससे जुड़े हर इंसान कि साख में इजाफा हो....बस यही सोच के हर काम किया.इसी तरह छोटों का प्यार...बड़ों का आशीर्वाद....दोस्तों की शुभकामनायें मिलती रहें.....मुझे कमी क्या है.