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Sunday, May 9, 2010

" आध्यात्मिक - निर्माण " की सुखद यात्रा ....



" निस्सार " जीवन को " लोकोपयोगी " बनाना ही .... मानव धर्म


.... अपने " पूर्वांचल " जिलों के पिछले डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में मैंने अमूल्य " आध्यात्मिक लाभ " प्राप्त किया है .... ! ये अल्पविकसित क्षेत्र ... मेरे " आत्मिक विकास " के लिए बेहद सार्थक सिद्ध हो सका ... इसे मैं ईश्वर की असीम अनुकम्पा मानता हूँ ... !


..... इस " आध्यात्मिक यात्रा " पर चलते हुए मुझे ये विश्वास हो गया है .... कि बिना " आध्यात्मिक उन्नति " किये समस्त प्रकार की उन्नति व्यर्थ है ..... बिना आध्यात्मिक निर्माण के तमाम भौतिक प्रगति " निस्सार " है .... ये किसी काम न आएगी ..... और मात्र " मनोरोगों " और " प्रदुषण " को जन्म देगी .... आध्यात्मिक धरातल से रहित अति सम्पदावान व्यक्ति भी सदैव आशंकित ... व्यग्र ... चिंतित रहता है .... उसका धन " लोकोपयोगी " तथा कीर्तिवान नहीं होता ..... जबकि " अध्यात्म सिद्ध " फकीर भी महान हो जाता है .... लोकोपयोगी हो जाता है ...व लाखों मनुष्यों के लिए कल्याण का मार्ग बन जाता है ...... बिना " आध्यात्मिक निर्माण " के हमारा मनुष्य के रूप में जन्मना भी " सिद्ध " नहीं होता ..... सार्थक नहीं होता .... ! आध्यात्मिक - निर्माण के बाद ही हम अपने क्रोध .. अहंकार .. अनुराग .. और विषयों में " व्यर्थ की लिप्तता " से मुक्त हो सकते हैं .... व एक " निष्काम कर्मयोगी " का जीवन प्राप्त कर सकते हैं .. !


...... यहाँ आकर सर्वप्रथम .... " स्वतंत्र देव जी महाराज " के अदभूत " आध्यात्मिक व्यक्तित्व " ने मुझे बेहद प्रभावित किया है ....... वे आत्मसिद्ध ... परम ज्ञानी .... " मह्रिषी सदाफल देव जी महाराज " की महान परंपरा के " द्वितीय परंपरा सदगुरु " हैं ... ! सदाफल देव जी महाराज ने " स्वर्वेद " नामक महाग्रंथ की रचना की थी ....!उन्होंने अनुभव जन्य "आत्मज्ञान " के आधार पर यह ग्रन्थ " पद्य शैली " में लिखा था ...!


.... स्वतंत्र देव जी महाराज ने आध्यात्मिकता के शिखर को छुआ है .... उनका व्यक्तित्व विराट है .... वे दया और परोपकार के सागर हैं .... देश के सार्वाधिक गरीब और पिछड़े प्रान्तों यथा - बिहार ... उत्तर प्रदेश .... छत्तीस गढ़ ... झारखण्ड में वे कई दशकों से .... मानव - कल्याण के लिए महती कार्य कर रहे हैं ..! लाखों मनुष्यों ने " विहंगम योग " के मार्ग पर चलकर " आध्यात्मिक निर्माण " किया है .... सदगुरु की प्रेरणा से सारनाथ के निकट " उमर्हाँ " में .... एक अत्यंत विशालकाय " स्वर्वेद महामंदिर " का निर्माण हो रहा है ....! २०१२ तक .. इस मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने का लक्ष्य है ... !

.....वे मानव - कल्याण हेतु देश - विदेश में ..... निरंतर .. वर्ष भर सदैव भ्रमण पर रहते हैं .... और " आध्यात्मिक चिंतन शिविरों " का आयोजन करते हैं .... ! उनकी सोच बेहद मानवीय है ..... वे कर्म कांड से मुक्त " लोक हितकारी " ..... मर्यादित .... अनुशाषित .... जाति - द्वेष के पाखण्ड से मुक्त जीवन जीने की प्रेरणा मानव मात्र को देते हैं .... !


.... मैंने ऐसे अदभूत योगी पुरुष के सानिध्य में पकड़ी ( बलिया) , उम्र्हाँ ( सारनाथ ) , झूंसी ( प्रयाग ) ,बोध -गया ( बिहार ) , जहानाबाद स्थित " आध्यात्मिक आश्रमों " के दर्शन किये हैं ..... और यहाँ नियमित रूप से आयोजित होने वाले आध्यात्मिक आयोजनों में भी सम्मिलित हुआ हूँ ...... यहाँ आकर मुझे असीम आनंद .... ह्रदय की निर्मलता .... आत्मज्ञान ... और वैराग्य की प्राप्ति हुयी है ...!


.... स्वामी जी के स्नेह और आशीर्वाद से ..... मुझे चित्त की स्थिरता प्राप्त हुयी है .... ! स्वामीजी के आध्यात्मिक लक्ष्यों की प्राप्ति में संत प्रवर " श्री विज्ञान देव जी " महान योगदान दे रहे हैं ......! स्वामी जी की ही प्रतिमूर्ति विज्ञान देव जी बेहद सहज ह्रदय हैं ...... अहम् पर पूर्ण विजय प्राप्त विज्ञान देव जी अपनी दिव्य वाणी में ..... आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का सुन्दर " रहस्योदघाटन " करते हैं ... ! स्वामी जी एवं संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज का सानिध्य प्राप्त होना मेरे लिए एक दिव्य अनुभूति रहा है !


.... ये दोनों अध्यात्म " शिखर पुरुष " फिलहाल एक माह के यूरोप - अमेरिका - आस्ट्रेलिया दौरे पर हैं जहाँ वे निरंतर कई आध्यात्मिक .... सत्संग कार्यक्रमों को संबोधित करेंगे .. ! इन महान आध्यात्मिक विभूतियों से सन्निकट होने के बाद एहसास हो रहा है ...... कि अब तक का जीवन व्यर्थ ही चला गया " निस्सार प्रयोजनों " में उलझकर अपनी बहुत सी " उर्जा " और " अमूल्य समय " गवां दिया .... अब मैं स्वयं को सम्पूर्ण रूप में " ईश्वर " को ... " आध्यात्मिक निर्माण " को समर्पित करता हूँ ! !

* * * * * PANKAJ K. SINGH

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