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Friday, August 6, 2010

RETRO PARADE - 1988


जाने कहाँ गए वो दिन...

वर्ष १९८८ का प्रारंभ- अचलगंज (उन्नाव)
वर्ष १९८८ का समापन- लखीमपुर खीरी

...और इस तरह उन्नाव में बीता बचपन का एक यादगार दौर इस साल बिदाई ले गया ! इस वर्ष गर्मियों में पिताजी का तबादला हो गया ...और हमारा प्यारा अचलगंज हमसे छूट गया ! भैया क्लास ९ और मैं क्लास ६ की पढाई पूरी कर लखीमपुर पहुंचे ! जोनी और श्यामू तब बहुत छोटे थे ! मेरा और भैया का दाखिला अलग -अलग स्कूलों में हुआ !
जोनी और श्यामू ने भी पहली बार मेरे साथ स्कूल जाना शुरू किया ! यहाँ शुरू में कई दिनों तक हमारा बिलकुल मन नहीं लगा ! अचलगंज की याद लगातार हमारे दिलो दिमाग पर हावी थी ! शुरू में ही श्री रामसजीवन सर और शांति आंटी की आवाजाही से किसी तरह हम संभल सके !

यहाँ अधिक दोस्त नहीं बने ! कई घंटे स्कूल में गुजारने के बाद घर के लिए भी होम वर्क हो जाता था ! इस तरह बाहर की गतिविधियाँ बहुत कम हो गयीं ! समय मिलता तो कोमिक्स और पत्रिकाएं पढ़ते ....और टी. वी. पर प्रोग्राम देखते ! इस साल बी. आर. चोपड़ा का ''महाभारत'' दूर दर्शन पर शुरू हुआ ...और श्याम बेनेगल का ''भारत एक खोज'' भी !

''ही मेन''.. मुंगेरी लाल.. और फास्टर फेने हम सभी भाइयों के चहेते प्रोग्राम थे ! श्यामू HE MAN का इस कदर फैन था... कि उसे छेड़ने के लिए मैं HE MAN की बुराई भी करता तो वह मुझसे लड़ता और मेरे बाल नोच डालता ! ''शो थीम'' नामक प्रोग्राम भी हमें पसंद था ! क्रिकेट मैचों का लाइव टेलेकास्ट भैया और मैं तन्मय होकर देखते थे ! रेडियो के प्रोग्राम भी हमें पसंद थे ! यहाँ पर विविध भारती से भी अधिक उर्दू सर्विस के प्रोग्राम हमारे यहाँ बजते थे ! टीटू नामक लड़के से हमारे खट्टे- मीठे सम्बन्ध बने ...और कई क्रिकेट मैच हमने साथ खेले !

इस साल गर्मियों में महान फिल्मकार राज कपूर का निधन हो गया ! इस घटना से हम बेहद दुखी हुए थे ..और कई हफ़्तों तक उनकी फिल्मों के यादगार गीतों को सुनते रहे थे ! ख़ास कर ''जाने कहाँ गए वो दिन'' ..और ''दोस्त- दोस्त ना रहा'' !

घर रेलवे स्टेशन के नजदीक था ...सो अक्सर चारों भाई साथ निकल जाते थे ..और सब अपनी- अपनी पसंद की कोमिक्स और पत्रिकाएं ले आते थे ! यहाँ आकर हमने बाल साहत्य का भरपूर आनंद उठाया ! यहीं हमारे सामने ''नन्हे सम्राट'' का पहला अंक निकला ! ''बालहंस'' हमारी सार्वाधिक प्रिय पत्रिका बन गयी ...चाचा चौधरी ...पिंकी ...साबू... बिल्लू हमारे प्यारे साथी बन गए ! इन सबके साथ यह साल इतनी तेजी से बीत गया.. कि पता ही नहीं चला ! भैया ''साइंस एक्स्परिमेंट'' करते तो हम सभी उन्हें कौतुहल से देखते !

यहाँ सुमित पुरी, फैसल इकबाल, मोईनुद्दीन सिद्दीकी ,अमित और अरविन्द मेरे अच्छे दोस्त बने ! हमारा स्कूल ''कुंवर खुशवक्त राय'' एक बेहतरीन स्कूल था !

* * * * * PANKAJ K. SINGH

1 comment:

SINGHSADAN said...

bhaiya yandon ka ye safar bhi
majedar raha